साईमन कमीशन का सच्च
बालोतरा, भैरुलाल नामा
बालोतरा, भैरुलाल नामा
★क्या था *साईमन कमीशन*? हमें विद्यालय में पढाया गया था कुछ और वास्तिविकता थी कुछ और ★
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सतलोक एक्सप्रेस न्यूज |
जब बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर विदेश से पढकर भारत में बडौदा नरेश के यहां नौकरी करने लगे तो उनके साथ बहुत ज्यादा जातिगत भेदभाव हुआ। इस कारण उन्हें 11 वें दिन ही नौकरी छोड़कर बडौदा से वापस बम्बई जाना पड़ा। उन्होंने अपने समाज को अधिकार दिलाने की बात ठान ली।
उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को बार-बार पत्र लिखकर शूद्र वर्ग की स्थिति से अवगत करवाया और उन्हें अधिकार देने की माँग की।
बाबा साहेब के पत्रों में वर्णित छुआछूत व भेदभाव के बारे में पढकर अंग्रेज़ दंग रह गए कि क्या एक मानव दूसरे मानव के साथ ऐसे भी पेश आ सकता है। बाबा साहेब के तथ्यों से परिपूर्ण तर्कयुक्त पत्रों से अंग्रेज़ी हुकूमत अवाक् रह गई और 1927 में शूद्र वर्ग की स्थिति के अध्ययन के लिए मिस्टर साईमन की अध्यक्षता में एक कमीशन का गठन किया गया।
जब कांग्रेस व महत्मा गांधी को कमीशन के भारत आगमन की सूचना मिली तो उन्हें लगा कि यदि यह कमीशन भारत आकर शूद्र वर्ग की वास्तविक स्थिति का अध्ययन कर लेगा तो उसकी रिपोर्ट के आधार पर अंग्रेजी हुकूमत इस वर्ग के लोगों को अधिकार दे देगी। कांग्रेस व महत्मा गांधी ऐसा होने नहीं देने चाहते थे।
अतः 1927 में जब साईमन कमीशन अविभाजित भारत के लाहौर पहुंचा तो पूरे भारत में कांग्रेस की अगुवाई में जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन हुआ और लाहौर में मिस्टर साईमन को काले झंडे दिखा कर go back के नारे लगाए गए। बाबा साहेब स्वयं मिस्टर साईमन से मिलने लाहौर पहुंचे और उन्हें 400 पन्नों का प्रतिवेदन देकर शूद्र वर्ग की स्थिति से अवगत कराया। कांग्रेस ने मिस्टर साईमन की आँखों में धूल झोंकने के लिए उनके सामने ब्राह्मणों को शूद्र वर्ग के लोगों के साथ बैठ कर भोजन करवाया (बाद में ब्राह्मण अपने घर जाकर गोमूत्र पीकर उससे नहाये)। यह सब पाखण्ड देखकर बाबा साहेब मिस्टर साईमन को गांव के एक तालाब पर ले गये। उनके साथ एक कुत्ता भी था। वह कुत्ता अपने स्वभाव के मुताबिक सबके सामने उस तालाब में डुबकी लगाकर नहा कर बाहर आया। तब बाबा साहेब ने एक शूद्र वर्ग के व्यक्ति को तालाब का पानी पीने के लिए कहा। उस व्यक्ति ने घबराते हुए जैसे ही पानी पिया तो आसपास के ब्राह्मणों ने हमला बोल दिया। आखिरकार बाबा साहेब सहित अन्य व्यक्तियों को पास की एक मुस्लिम बस्ती में शरण लेकर अपना बचाव करना पड़ा। मिस्टर साईमन को सब कुछ समझ में आ गया। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को वस्तु स्थिति रिपोर्ट सौंप दी। बाबा साहेब भी बार-बार पत्राचार करते रहे और उन्होंने लंदन जाकर अंग्रेजी हुकूमत के वरिष्ठ अधिकारियों व राजनेताओं को बार-बार भारत की शूद्र वर्ग को अधिकार देने की मांग की।
बाबा साहेब के तर्कों को अंग्रेजी हुकूमत नकार नहीं सकी और उसने भारत की शूद्र वर्ग को अधिकार देने के लिए 1930 में communal award (संप्रदायिक पंचाट) पारित किया।
हमें विद्यालय में यह पढाया गया था कि कांग्रेस ने साईमन कमीशन को काले झंडे दिखा कर go back के नारे लगाए। परंतु उसने वास्तव में ऐसा क्यों किया, यह नहीं पढाया गया
यह सोचने की बात है ।
जय भीम जय मूलनिवासी
भैरूलाल नामा
फूले शाहू अम्बेडकर विचारक
09461156033