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जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के अमृत वचन सर्व पवित्र शास्त्रो के आधार पर

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के अमृत वचन सर्व पवित्र शास्त्रो के आधार पर

01. तीर्थ-व्रत करने से कोई भी लाभ नही । 
गीता अध्यय 6 शलोक 16 में प्रमाण देखिये
02. धर्मदास जी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी उस समय मिले जब धर्मदास जी तीर्थ करने वृदांवन में गये हुए थे, धर्मदास को कबीर साहेब जी ने बताया कि तीर्थ करने से हमें क्या लाभ और क्या हानि होती है ?
तीर्थ जल में कच्च और मच्छा जिव बहूत से रहते है।
उनकी मुक्ति ना होतीं वो कष्ट बहूत से सहते है ।।
कबीर साहेब ने कहा कि
धर्मदास जी आप तो साल या छः महीने में 1 बार तीर्थ स्थान पर स्नान करने आते हो, लेकिन तीर्थ जल में तो बहुत से जीव हमेशा रहते है,और कष्ट भी सहते है फिर भी उनकी मुक्ति नही होती है तो धर्मदास जी आपकी मुक्ति कैसे संभव है।
03. कबीर साहेब जी ने पूछा की गीता ज्ञान दाता गीता अध्याय 4 के श्लोक 5 में कहता है की अर्जुन तेरे और मेरे बहुत से जन्म हो गए है तू नही जानता में जनता हूं, इसका क्या अर्थ होता है ?  
तो धर्मदास जी कोई जवाब नही दे पाये, 
फिर गीता ज्ञान दाता कहता है कि अर्जुन तुम्हे पूरी मुक्ति चाहिए तो तत्त्वदर्शी संत के पास जा वही तेरी मिक्ति करवा सकता है । ये मेरे बस का नही है, में तो खुद जन्म मृत्यु के अंतर्गत हूं।
जब इन भगवानो की जन्म मृत्यु होती है तो हम किस खेत की मूली है,
बंधे से बंधा मिले वो छूटे कोन उपाय।
करो बंदगी निर्बंध की जो जम से लेट छुताय।।
ये तीन लोक के मालिक होते हुए भी जन्म मृत्यु में आते है, तो ये हमारी क्या मुक्ति कर सकते है।
गीता अध्याय 15 शलोक 4 में कहा है कि तत्त्वदर्शी संत से तत्वज्ञान प्राप्त करके परमेशवर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए, जहां जाने के बाद साधक लौटकार फिर संसार में कभी नही आते।
पूर्ण मुक्ति चाहिए तो तत्त्वदर्शी संत की तलाश करो और उसके बताये हुए मार्ग पर चल तभी तेरी मुक्ति संभावः है
आज के समय में तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज है जो हमारे शास्त्रों के आधार पर भक्ति दे रहे है जिससे आपकी मुक्ति बिल्कुल है,
सतलोक एक्सप्रेस न्यूज़ 

  1.      :- धर्मदास जी ने कबीर साहेब से नाम दीक्षा लिया और फिर उन्हें पूर्ण मुक्ति मिली।
  2.     :-भगत पन्ना दास छत्तरपुर मध्यप्रदेश से उन्होंने बताया कि तीर्थ व्रत करके थक चुके थे , और चितकुट तीर्थ पर वह पैदल जाते थे , और आसपास का कोई भी तीर्थ नही छोड़ा , 

ये चारो धामो पर भी अपने बच्चे की बीमारी से निजात पाने के लिए गए फिर भी परेशानिया कम नही हुई, 8 दिन मथुरा में बिना कुछ खाये पीये तीर्थ किया फिर भी कोई लाभ नही मिला और मरने के कगार पर थे, उनका संत महात्माओं से विश्वास बिल्कुल उठ चुका था, लेकिन जब उनको ज्ञान गंगा पुस्तक मिली फिर संत रामपाल जी से नाम दीक्षा लिया तब सारी परेशानिया समाप्त हो गयी, और बच्चा भी ठीक हो गया , उन्होंने बताया की हम तो धन्य हो गए संत रामपाल जी महाराज से जुड़ कर।
यदि आपको भी लाभ चाहिए तो सतलोक आश्रम आइये और अपनी मुक्ति और सांसारिक दुखो से छुटकारा पाइये,
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