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दलित परिवार के नेता जिन्होंने अपनी पहचान बनायी

हमारे देश के इतिहास में प्रारम्भ से ही जाति व्यवस्था का अत्यधिक प्रभाव रहा है लेकिन फिर भी दलित परिवार से ऐसे कई नेता हुए हैं जिन्होंने भेदभाव और पक्षपातों के होते हुए भी अपनी अलग पहचान बनाई. 

1. बी आर अंबेडकर

भारतीय संविधान के निर्माता कहे जाने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक व्यवस्था और कानून के जानकार थे. पं. जबाहर लाल नेहरू ने उन्हें स्वतंत्र भारत की पहली सरकार में कानून और न्याय मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी थी. डॉ भीमराव अम्बेडकर ने कोलंबिया यूनीवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की थी. साल 1990 में इन्हें मरणोपरांत भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया था.
2. के आर नारायणन
साल 1997 में भारत के 10वें राष्ट्रपति का पद संभालने वाले के आर नारायणन का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था. उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से राजनीतिशास्त्र की पढ़ाई की थी. राष्ट्रपति बनने से पूर्व वो साल 1992 से साल 1997 के बीच उपराष्ट्रपति भी रहे थे. 3. कांशीरामबाबा साहेब अंबेडकर या डॉ भामराव अंबेडकर के विचारों का अनुसरण करते हुए प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक कांशी राम ने साल 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की थी. साल 1991 से साल 1996 के बीच कांशी राम उत्तर प्रदेश के इटावा लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे थे.

4. मीरा कुमार

मीरा कुमार भारत की राजनीति के जानेमाने चेहरे जगजीवन राम की बेटी हैं. साल 1985 में मीरा कुमारी ने अपने पहले चुनाव में ही उत्तर प्रदेश के बिजनौर लोकसभा क्षेत्र से राम विलास पासवान और मायावती को भारी मतों से हराया था. मीरा कुमार 5 बार लोकसभा सांसद भी रह चुकी हैं. वे 15वीं लोकसभा की अध्यक्ष भी रही थीं.

5. रामनाथ कोविंद

भारत के वर्तमान और 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी एक दलित परिवार से ही संबंधित हैं. साल 1991 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने के बाद वे साल 1998 से 2002 के बीच बीजेपी दलित मोर्चा का अध्यक्ष भी रहे थे. साल 1994 में वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य चुने गये थे. राष्ट्रपति बनने से पूर्व रामनाथ कोविंद बिहार राज्य के राज्यपाल का कार्यभार संभाल रहे थे.

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