अच्छा फैंसला पर.....
सुप्रीम कोर्ट के जज सी.के.प्रसाद और जे.एस.खेहर बधाई के पात्र हैं! उन्होने इस गम्भीर मुद्दे को सरकारों के सामने रखा और समय लिमिट भी दी कि पुलिस अफसरों को ट्रेनिंग दी जावे ! लेकिन पुलिस अधिकारियों प्रशासन और सरकार जान बुझ कर किसी निर्दोष संत को झूठे मुकदमों मॆ फँसाये तो क्या उनको सजा नहीँ मिलनी चाहिये? क्या गलत को गलत कहना जुर्म है? यही तो किया था तत्त्वदर्शीसंत रामपाल जी महाराज ने शुरुवात स्वामी दयानंद के झूठे ज्ञान जो वेद शास्त्रों के विरुद्ध था, प्रमाण और सबूतों से साबित किया कि दयानंद से बड़ा कोई मूर्ख नहीँ है! इसी पर बवाल मचा दिया तथाकथित हरियाणा के आर्य समाज के लोगो ने, जिनमे तत्कालीन मुख्य मंत्री भी शामिल थे ज्ञान का जवाब ज्ञान के देने के बजाय करवा दिया "करोँथा कांड 2006"
बेकसूर संत को 22 महीने तक जेल मॆ रखा! मुख्यमंत्री के कहने पर पुलिस प्रशासन और मीडिया ने संत रामपाल जी को बदनाम किया घटिया आरोप लगाये जिनमे से एक आरोप भी साबित नहीँ हुआ! हद तो तब हो गयी जब जज महोदय भी संत से रिश्वत माँगने लगे! संत और उनके अनुयाइयों ने सबूतों को एक पुस्तक द्वारा उजागर किया गया! भ्रष्ट जजों, मुख्यमंत्री, प्रशासन, मीडिया ने मिलकर जो भ्रष्टता दिखाई उसका प्रमाण सहित उल्लेख किया गया इस पुस्तक मॆ ! लेकिन कसूरवार के खिलाफ कार्रवाई कि बजाय संत को सताया जाने लगा! अनुयाइयों द्वारा C.B.I.से जाँच कि माँग कि जाती रही लेकिन नहीँ करवाई क्योंकि प्रशासन और सरकार स्वयं फंसने वाली थी !
2013 मॆ करोँथा आश्रम सुप्रीम कोर्ट द्वारा संत रामपाल जी को देने का फैसला आने के बावजूद आज तक संत और उनके अनुयाइयों को घुसने नहीँ दिया जा रहा आश्रम मॆ! करोड़ों अरबों कि सम्पत्तियों को नष्ट कर दिया और पुलिस के रहते हुये करोड़ों कि सम्पत्ति चुरा ली गयी! क्या मिला संत को न्यायव्यवस्था से ? अब संत और उनके अनुयाइयों द्वारा समय समय पर तीन पुस्तकों द्वारा जनता, सरकार और प्रशासन के सामने संत और उनके अनुयाइयों पर हो रहे जुल्मों को उजागर किया गया! पर ऊन पुस्तकों मॆ लगाये गये आरोप, जो सबूतों के साथ लिखे गये थे पर कोई कारवाई करने कि बजाय जजों ने पुस्तक लिखने वालो के खिलाफ संज्ञान ले लिया और मुकदमा दायर कर दिया! ये जुल्म नहीँ तो और क्या था ?
खैर जज महौदयौ जिन्होने इस मुद्दे को उठाया है उनसे प्रार्थना है करप्ट जजों, करप्ट मीडिया, करप्ट प्रशासन ने बरवाला कांड करवाया और संत रामपाल जी और उनके अनुयाइयों को जेल मॆ डाल दिया गया! सरकार को हिदायत दें कि C.B.I.जाँच करवाये और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जावे.....
2013 मॆ करोँथा आश्रम सुप्रीम कोर्ट द्वारा संत रामपाल जी को देने का फैसला आने के बावजूद आज तक संत और उनके अनुयाइयों को घुसने नहीँ दिया जा रहा आश्रम मॆ! करोड़ों अरबों कि सम्पत्तियों को नष्ट कर दिया और पुलिस के रहते हुये करोड़ों कि सम्पत्ति चुरा ली गयी! क्या मिला संत को न्यायव्यवस्था से ? अब संत और उनके अनुयाइयों द्वारा समय समय पर तीन पुस्तकों द्वारा जनता, सरकार और प्रशासन के सामने संत और उनके अनुयाइयों पर हो रहे जुल्मों को उजागर किया गया! पर ऊन पुस्तकों मॆ लगाये गये आरोप, जो सबूतों के साथ लिखे गये थे पर कोई कारवाई करने कि बजाय जजों ने पुस्तक लिखने वालो के खिलाफ संज्ञान ले लिया और मुकदमा दायर कर दिया! ये जुल्म नहीँ तो और क्या था ?
खैर जज महौदयौ जिन्होने इस मुद्दे को उठाया है उनसे प्रार्थना है करप्ट जजों, करप्ट मीडिया, करप्ट प्रशासन ने बरवाला कांड करवाया और संत रामपाल जी और उनके अनुयाइयों को जेल मॆ डाल दिया गया! सरकार को हिदायत दें कि C.B.I.जाँच करवाये और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जावे.....