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शंकर जी (तमोगुण ) का परिचय......


शंकर जी (तमोगुण ) का परिचय......

Identity of Shankar JI(Tamogun)
शंकर जी तमोगुण युक्त है इनकी चार भुजा है और 16 कला वाले है और ये काल और दुर्गा (प्रकति ) के सबसे छोटे बेटे (पुत्र ) है शंकर जी का काम (ड्यूटी) इस काल पुरुष के संसार को चलाने के लिए इस संसार के प्राणियों का नाश करना है इसलिए इनकी मूर्ति प्रत्येक समसान घाट में होती है ....शंकर जी सिर्फ एक देवता है ये पूर्ण (सुप्रीम ) भगवान नहीं है लिकिन कुछ मुर्ख डोंगी संत या नकली गुरु इन्हें पूर्ण भगवान यानी सबसे बड़ा भगवान् मानते है और कहते है की ये महाकाल है इनसे बड़ा कोई नहीं है उन मूर्खो को शंकर जी के बारे में कुछ नहीं पता है फिर भी वे शंकर को ( सुप्रीम ) मानते है और कहते है की शंकर जी अजर अमर है जब की श्रीमद देवी भागवत पुराण में साफ़ साफ़ लिखा है की शंकर जी का जन्म और मरण दोनों ही होते है वे अमर नहीं है देश के इन नकली संतो और डोंगियो ने अपने फटीचर (गलत) ज्ञान के द्वारा देश की भोली भाली जनता की आस्था का मजाक बनाकर रख दिया है और जनता को गलत ज्ञान देते है ये डोंगी ..............



(1) शंकर जी अगर पूर्ण भगवान् होते तो वे स्त्री वियोग में अपनी पत्नी सती के जले हुए शरीर को अपने कंधे पर रख कर पूरी पृथ्वी पर हज़ारो साल तक पागलो की तरह नहीं घूमते फिरते क्यों की सुप्रीम भगवान कभी भी स्त्री के मोह में नहीं पड़ता है

(2) शंकर जी अगर पूर्ण भगवान् होते तो तो वे भस्मासुर नाम के असुर से डर के मारे अपने प्राणों रक्षा के लिए नहीं भागते फिरते शंकर जी अगर सुप्रीम भगवान होते तो वे भस्मासुर के डर से अपने प्राणों की रक्षा के लिए पेड़ का रूप नहीं बनाते और मुर्ख डोंगी गुरु कहेते है की शंकर जी तो महाकाल है

(3) शंकर जी अगर पूर्ण (सुप्रीम ) भगवान होते तो उन्हने जो गणेश जी सिर काटा था वो ही सिर दुबारा जोड़ देते किसी पशु हाथी का सिर को लगाने की जरूरत नहीं होती

पूर्ण (सुप्रीम ) भगवान सिर्फ और सिर्फ काल के भी बाप कबीर परमात्मा है जो आज के डोंगी मुर्ख संत और नकली गुरु मान ने को तयार नहीं और भोली जनता को उल्लू बनाते रहते है....वे लोगो को बताते है की कबीर तो एक साधरण कपडा बुनने वाला जुलहा था कबीर तो कविता और दोहे लिखने वाला साधारण कवी था वो भगवान नहीं था

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