डर और भगवान
नास्तिक लोग कहते रहते हैं कि जो पारिवारिक जिम्मेदारियों से भागता है या जो डरता है वह भगवान को मानता है । वो ही गुरू बनाता है । ये लोग सही फरमाते है । आज लगभग हर आदमी चाहे नास्तिक हो या आस्तिक, पारिवारिक जिम्मेदारियों निभाने के लिए छल कपट का सहारा ले रहा है । बडा ठग छोटे ठग को ठग रहा है । हॉ जी हम डरते है इसलिए ही तो हम भगवान को मानते है । हम डरते है, बेईमानी करने से, चौरी और नशा करने से , पाप करने से , डरते है किसी को धौका देने से, किसी का बुरा करने से । हम डरते हैं रिश्वत लेने से । हम डरते हैं परमात्मा के विद्धान से । आप चतुर हैं । आपके पास जैक चैक है हमारे पास सतनाम की कमाई है । आपका संया थानेदार तो आपको डर काहेका । आपके के साथ लठेत है हमारे साथ परमात्मा की शक्ति है । आपके मॉ बाप ही आपके गुरू हैं, आपको चाणक्य नीति सिखाई है, चालाकी सिखाई है । हमारे तो सतगुरू ही हमारे मॉ बाप है जिन्होनें हमे सत्यमार्ग बताया है। हम शरीफाई से जीना चाहते हैं लेकिन ये चतुर लोग गरीबों का हक छीनते हैं।
संतों वाणी है :- चतुर प्राणी चौर है, मुड मुगद ठोठ ।
ये नहीं संतों के काम के, इनके दे गल झोट ।।
ऐसे लोग ही तो कलयुग के रावण है कंस है । ये तो राम कृष्ण के हाथ मारे गये थे लेकिन इन निर्दयी लोगों से कौन जीते । कहते हैं नागा से तो भगवान भी डरता है तभी तो आपके भगवानों ने हाथ में हथियार लिए हुये हैं । ऐसे लोगों के विश्वासघात और अत्याचारों से तंग आकर कुछ तो डकेत बन जाते हैं जैसे फूलनदेवी डाकू बन गई थी। आप लोगों ने ही हमारे अन्दर डर बैठा दिया हैं हममें से बहुत से लोग भाग्यशाली है जो गलत रास्ते से बचकर सतगुरू की शरण में आ गये ।
एक बार एक संत ने प्रवचनों के दौरान मौहल्ले के लोगों से कहा कि जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं वे हाथ उपर करे । सब ने हाथ उपर कर दिये । एक व्यक्ति ने हाथ उपर नहीं किये तो उससे संत ने पूछा भाई तुम स्वर्ग जाना क्यों नहीं चाहते हो इस पर वह व्यक्ति बोला गुरू जी यदि सब दुराचारी लोग स्वर्ग चले जायेगें तो हम जैसों को तो यह धरति यहीं स्वर्ग बन जायेगी । लेकिन महाराज जी ये लोग न तो बुराई छोडगें न ही स्वर्ग जा सकते हैं । संत जी बोले बेटा तू ठीक कहते हो जब तक आदमी तन मन से शुद्ध नहीं होता, अपने विकार नहीं छोडता तबतक उनको भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती है । ये पढे लिखे मूर्ख लोग
संतों के ज्ञान को बकवास बताते है ।
कबीर, ज्ञानी हो तो ह्रदय लगाई ।
मूर्ख हो तो गम ना पाई ।।
इच्छा रूपी खेलन आया ।
तातैं सुख सागर नहीं पाया ।।
कृतध्नी भूले नर लोई ।
जा घट निश्चय नाम न होई ।।
सो नर कीट पतंग भुजंगा ।
चौरासी में धर है अंगा ।।
ऊंच होई के नीच सतावै ।
ताकर ओएल (बदला) मोही सों पावैं।।
गुरू बिन काहू न पाया ज्ञाना ।
ज्यों थोथा भुस छिडे किसाना ।।
कबीर,तीन लोक पिंजरा भया, पाप पुण्य दो जाल ।
सभी जीव भेजन भये, एक खाने वाला काल ।।
गरीब, एक पापी एक पुन्यी आया, एक है सूम दलेल रे ।
बिना भजन कोई काम नहीं आवै, सब हैं जम की जेल रे ।।
इनको बिना ज्ञान के चौरासी खानी में भटकने का डर नहीं । लेकिन ये लोग कुछ भी कहे, इनको डर लगता है मौत से । लेकिन जो सतगुरू संत रामपाल जी महाराज की शरण में उनको मौत का डर कभी नहीं सताता है ।
कोई करके देखे सतभक्ति ।
आप डरे या न डरे एक बार ज्ञान गंगा पुस्तक अवश्य पढें ।
और रोज सुने सत्संग सायं 7.40 से 8.40 तक साधना चैनल पर अधिक जानीकारी हेतु देखे www.jagatgururampalji.org
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बंदीछोड सतगुरू संत रामपाल दास जी महाराज की जय हो ।