Subscribers Live Count

तीसरे नाम (सारनाम) का महत्व


तीसरे नाम (सारनाम) का महत्व
========================
(सतनाम के बाद जब हम तीसरा सारनाम गुरू जी से लेते है तो गुरू जी सतनाम के दो अक्षर मे ही सारनाम का एक अक्षर एड कर देते है ऐसे ब्रह्म परब्रह्म पूर्णब्रह्म तीनो का जाप एक साथ करना होता है.. जाप विधि गुरू जी बताते है गीता अध्याय 17 के 23 मे लिखा है ओम- तत- सत ये पूर्ण परमात्मा का मंत्र(नाम) कहा है ओम सीधा ही है तत सत कोड वर्ड है सतगुरू रामपाल जी महाराज बतायेगे.. फिर इन तीनो मंत्र का एक साथ जाप करना होता है सतनाम और सारनाम एक नाम बन जाता है)

जब हम दसवे द्वार के last मे जाते है तो वहा काल वास्तविक रूप मे बैठा है.. वहा हम जब इन तीनो मंत्रो (सतनाम और सारनाम)का जाप एक साथ करते है तो काल निरंजन सर झुका देता है गीता 8/13 श्लोक मे ओम मंत्र काल ब्रह्म का है इसकी कमाई काल अपने पास रख लेता है और हमे आगे आठवे कमल ग्यारहवे द्वार मे जाने की अनुमति दे देता है. इसके सर के पीछे ग्यारहवा द्वार है. जब काल सर झुकाता है तो हम इसके सर पर पैर रख कर ग्यारहवे द्वार परब्रह्म के लोक आठवे कमल मे प्रवेश कर जाते है वहा हमारा सूक्ष्म शरीर छुट जाता है
Click Here toLike my Facebook Page

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !