दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए, बिना गुरु के कोई भी दुसरे किनारे तक नहीं जा सकता है !!
नही कर सकते तो काहे भगत काहे के दास ?
समाज से मीराबाई ने नारी होकर संघर्ष किया समाज से | राजा हरिशचन्द्र जी को अपने ईष्टदेव श्री विष्णु जी पर कितना विश्वास था ,उन्होने सत्य नही छोडा |
हम तो पुर्णब्रह्म कि भक्ति कर रहे है तो फ़िर डर ?
मालिक कहते हे कि
कबीर, सत ना छोडे सुरमा ,सत छोडा पत जाय !
सत की बांधी लक्ष्मी , फेर मिलेगी आय !!
जिस दिन नामदान लेते है तो नाम रूपी धन के बदले हम सतगुरू जी के गुलाम बन जाते है , उस नाम के बदले बिक जाते है और तन मन धन सब गुरु देव का हो जाता है !फिर हमे मालिक के ज्ञान, भक्ति, मर्यादा और उनकि आज्ञा से जीवन जीना पडता है | जो उनके बताये अनुसार ना चलकर अपनी मनमर्जी से जीवन जीता है तो वह मालिक का गुलाम(दास) कैसे होगा ? और जब तक दास नही बनेगे सतलोक कैसे चलेगे ??
आज मालिक हम से इसी कारण दुखी है क्योकि हम उनके बताये मार्ग पर बिना किसी भय के नहीँ चल पा रहे !उनकि दया का हम गलत प्रयोग करते आये है |
संध्या आरती करते समय तीन बार कसम खाते है कि
"बांदी जाम गुलाम, गुलाम, गुलाम हु..."
कृपया सतगुरू जी के दर्द को समझो....
समाजिक बुराईयो से संघर्ष करना ही पडैगा ! सारे काल के जाल को सतगुरू जी के तत्वज्ञान से काटना पडेगा | बाकी आप जानो ! यहा का नियम हे "जो करेगा वो भोगेगा " सतगुरू जी के ज्ञान से नही जियेगे तो सतलोक तो दुर सतगुरू जी के दिल मे जगह नही बना पायेंगे हम !
क्योकि मालिक कहते है "गुरू से लगन कठिन है भाई "
"संघर्ष तो करना ही पड़ेगा "!
नही कर सकते तो काहे भगत काहे के दास ?
समाज से मीराबाई ने नारी होकर संघर्ष किया समाज से | राजा हरिशचन्द्र जी को अपने ईष्टदेव श्री विष्णु जी पर कितना विश्वास था ,उन्होने सत्य नही छोडा |
हम तो पुर्णब्रह्म कि भक्ति कर रहे है तो फ़िर डर ?
मालिक कहते हे कि
कबीर, सत ना छोडे सुरमा ,सत छोडा पत जाय !
सत की बांधी लक्ष्मी , फेर मिलेगी आय !!
जिस दिन नामदान लेते है तो नाम रूपी धन के बदले हम सतगुरू जी के गुलाम बन जाते है , उस नाम के बदले बिक जाते है और तन मन धन सब गुरु देव का हो जाता है !फिर हमे मालिक के ज्ञान, भक्ति, मर्यादा और उनकि आज्ञा से जीवन जीना पडता है | जो उनके बताये अनुसार ना चलकर अपनी मनमर्जी से जीवन जीता है तो वह मालिक का गुलाम(दास) कैसे होगा ? और जब तक दास नही बनेगे सतलोक कैसे चलेगे ??
आज मालिक हम से इसी कारण दुखी है क्योकि हम उनके बताये मार्ग पर बिना किसी भय के नहीँ चल पा रहे !उनकि दया का हम गलत प्रयोग करते आये है |
संध्या आरती करते समय तीन बार कसम खाते है कि
"बांदी जाम गुलाम, गुलाम, गुलाम हु..."
कृपया सतगुरू जी के दर्द को समझो....
समाजिक बुराईयो से संघर्ष करना ही पडैगा ! सारे काल के जाल को सतगुरू जी के तत्वज्ञान से काटना पडेगा | बाकी आप जानो ! यहा का नियम हे "जो करेगा वो भोगेगा " सतगुरू जी के ज्ञान से नही जियेगे तो सतलोक तो दुर सतगुरू जी के दिल मे जगह नही बना पायेंगे हम !
क्योकि मालिक कहते है "गुरू से लगन कठिन है भाई "