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भारत का दुर्भाग्य बनाम जातिवाद का नंगा नाच

बालोतरा से भैरूलाल नामा सी विशेष रिपोर्ट
           आज मुझे अपने भारत देश की सच्चाई लिखने में भी शर्म आ रही है । लेकिन लोगों की घटिया सोच व गंदी मानसिकता को देखते हुए लिखने पर मजबूर हूं ।
इसे भारत का दुर्भाग्य कहूं ? या मनु नामक चांडाल ने जातिवाद वर्ण व्यवस्था रूपी असमानता का भ्रमजाल कहूं ।
देश में 69 वां गणतंत्र दिवस बड़ी धूम-धाम से मनाया गया जगह जगह स्कूलों एवं कार्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया । सांस्कृतिक प्रोग्राम भी हुए भाषण हुए ,लेकिन किसी भी जगह यह सच्चाई नहीं बताई गई कि हम गणतंत्र दिवस क्यों मना रहे हैं?
         गणतंत्र दिवस क्या है इसे मनाने का कारण क्या है बच्चों को यह तो बताया गया कि आज के दिन संविधान लागू हुआ था और भारत गणराज्य बना था लेकिन यह नहीं बताया गया कि संविधान किसने बनाया ,संविधान का जनक कौन है, देश की आजादी में संविधान का क्या योगदान है,क्योकि लोगो के अंदर जातिवाद का जहर हकीकत बोलने नही देता ।

       एक अशिक्षित व्यक्ति क्रांति के लिए लाठी डंडा चला सकता है, बंदूक चला सकता है लेकिन कलम नहीं चला सकता ,एक शिक्षित व्यक्ति कलम रूपी तलवार से सब को नतमस्तक कर सकता है, और जरूरत पड़ने पर लाठी या गोली से भी सब को सबक सिखा सकता है,
मैं भारत की आजादी में हुए शहीदों को नमन करते हुए लोगों को यह बताना चाहता हूं कि देश की आजादी केवल लाठी-डंडा या बंदूक से ही नहीं आई थी, देश की आजादी में सबसे ज्यादा बड़ा योगदान कलम के सिपाही डॉ भीमराव अंबेडकर का रहा है ।

           जब देश में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया था तब अंग्रेजों ने देश छोड़ने को मजबूर हो गए थे ,तभी अंग्रेजों ने कहा था कि हम आपका देश भारत आजाद कर देंगे, लेकिन देश किस तरह से चलाओगे देश को चलाने के लिए संविधान की जरूरत होगी, संविधान का मसौदा तैयार करके हमारे समक्ष पेश करो, और साबित करो कि हम इस मसौदे के अनुसार अपना देश चलाएंगे।

            उस समय देश में बापू गांधी, चाचा नेहरू ,मदन मोहन मालवीय, सरदार पटेल, कृपलानी जी ,जैसे कई वकील और लॉयर थे लेकिन सभी संविधान बनाने में नाकाम रहे, संविधान का मसौदा तैयार नहीं कर सके शिक्षा के क्षेत्र में ये सभी नपुंसक साबित हुए, भारत के बिना आरक्षण वाले लॉयर नपुंषक साबित हुए, इन नपुंसक वकीलों ने इंग्लैंड की रानी से संविधान बनवाने की पेशकश की, लेकिन रानी ने दो टूक जवाब दिया कि आपके देश में अनेक जाति धर्म समुदाय के लोग रहते हैं, भारत की जलवायु में भी विषमता है हमारा लिखा हुआ संविधान सही साबित नहीं होगा, तभी इंग्लैंड की रानी ने सलाह दिया था आपके देश में एक सिंबल ऑफ नॉलेज, ज्ञान का प्रतीक, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हैं वह यह काम बड़ी आसानी से कर सकते हैं ,तब यह लोग बाबा साहब से मिले और कहा आप भारत का संविधान लिखिए और भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाईये है बाबा साहब ने साफ शब्दों में कहा था कि अगर मैं संविधान लिखूंगा तो भारत के दलित शोषित पीड़ित लोगों को आरक्षण जरूर दूंगा।

       बड़ी मशक्कत और संघर्ष के बाद ये निठल्ले शोषण कर्ता लोग आरक्षण देने के लिए तैयार हुए क्योंकि अगर बाबा साहब संविधान नहीं लिखते तो देश को आजादी नहीं मिल रही थी इन्होंने मजबूरी में आरक्षण के लिए अपनी सहमति जताई थी ,जिसे आज यह लोग आरक्षण को भीख कहते हैं आरक्षण किसी के बाप की बपौती नहीं है यह बाबा साहब के द्वारा किए गए मेहनत और संघर्ष की कमाई है इस खून पसीने की कमाई को बहुजन साथी आज भी समझ नहीं पा रहे हैं जिस दिन संविधान में संशोधन होगा उसी दिन गले में हड्डी और पिछवाड़े पर झाड़ू लग जाएगी।

           संविधान सभा में 296 सदस्य निर्वाचित हुए जिसकी पहली मीटिंग 9 12 1946 को हुई, जिसमें 207 सदस्य उपस्थित हुए और 89 सदस्य अनुपस्थित रहे। इसकी अध्यक्षता डॉ राजेंद्र प्रसाद ने किया था दूसरे सत्र की मीटिंग 14 8 1947 से 22 8 1947 तक चली इस संविधान समिति के अध्यक्ष बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को बनाया गया संविधान सभा की मुख्य समिति में केवल 7 लोग थे नंबर 1 अलादी कृष्ण स्वामी अय्यर, बाबा साहब अंबेडकर, मोहम्मद सैयद साहब उल्लाह ,BP खेतान, एन गोपाल स्वामी, बी एल मित्तल,के एम मुंशी आदि लोग समिति के सदस्य थे इनमें से दो लोग विदेश चले गए थे 2 लोग स्वर्ग सिधार गए थे एक सदस्य ने बाबा साहब के साथ काम करने से मना कर दिया था,केवल दो लोग ही बचे थे जिन्होंने अंत तक कार्य किया था बाबा साहब का केवल दो लोगों ने पूर्ण सहयोग दिया था और संविधान को एक मजबूत संविधान बनाया था ,संविधान बनने के बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में नेहरु और गांधी को बाबा साहब ने संविधान राष्ट्रहित के लिए समर्पित किया था बाबा साहब की अथक मेहनत के बाद देश को आजादी मिली ,और अंग्रेजों के गुलाम 15% लोग आजाद हुए।

     लेकिन गुलामों के गुलाम जो भारत के मूल निवासी हैं आज भी गुलाम ही हैं उनकी गुलामी के लिए मूल निवासियों की आजादी के लिए मूल निवासियों को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा तभी इन 15 परसेंट लोगों का आतंक खत्म हो पाएगा ,तभी देश में सच्चा लोकतंत्र कायम होगा देश में समता समानता बंधुता और भाईचारा कायम हो सकेगा सभी साथियों से अनुरोध है कि देश में अराजक तत्वों का विरोध करो, भारत का संविधान कहता है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है गुटनिरपेक्षता यहां की नीति है फिर यहां किसी एक धर्म, एक जाति, एक समुदाय व्यक्ति को कैसे महान या उससे ज्यादा महत्व दिया जा सकता है भारत मैं रहने वाले सभी लोगों का सम्मान होना चाहिए
जब संविधान लिखने का समय आया तो कमेटी के सभी लोग बैठे हुए थे हिंदुओं ने कहा कि संविधान की शुरुआत श्री गणेश से होनी चाहिए, मुस्लिम लोगो ने कहा कि संविधान की शुरुआत या अल्लाह से होनी चाहिए सभी धर्म के अनुयायियों ने अपने अपने धर्म को महत्व देते हुए अपने अपने विचार दिए, लेकिन बाबा साहब यह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि संविधान किसी जाति धर्म समुदाय के आधार पर लिखा जाए इसीलिए बाबा साहब ने संविधान की शुरुआत we people of india ,हम भारत के लोग से शुरुआत किया, बाबा साहब ने संविधान में कहीं भी हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग नहीं किया है क्योंकि उन्हें पता था कि अगर मैं भारत को हिंदुस्तान लिख दूंगा तो बाकी धर्म के लोग कहां जाएंगे ,इसीलिए उन्होंने india that is bharat लिखा है फिर भी अगर कोई भारत को, हिंदुस्तान कहता है चाहे वह देश का राष्ट्रपति हो ,प्राइम मिनिस्टर हो या सीएम हो या किसी भी सरकारी पद पर पदाधिकारी या देश का नागरिक हो वह देश द्रोही है

जय भीम जय मूलनिवासी जय संविधान जय भारत नमो बुद्धाय

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2 Comments
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  1. 4 टुकड़े करने वाले को चांडाल कहा जा सकता है तो 7000 टुकड़े करने वाले को क्या कहना चाहिए? इस हिसाब से तो मनु 1750 गुणा छोटे चंडाल थे

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    1. 7000 टुकड़े करने वाले का नाम

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