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जिसने देखा नहीं उनके लिए यह एक ऐसा ही होगा जैसे कुएँ में रहने वाले मेंढक के सामने समुद्र की विशालता का वर्णन करना

अद्भुत,अविश्वसनीय लेकिन 100 %सत्य, हमने कुछ पुराणिक कथाओं में ही सुना था कि अश्वमेध यज्ञ या अन्य भंडारे में 56 प्रकार के व्यंजन लाखों लोगों को खिलाया गया। लेकिन यह सच है कहना मुश्किल होता था। लेकिन आज से करीब 600 साल पहले कबीर जी ने काशी नगर में 18 लाख लोगों को तरह-तरह का स्वादिष्ट भोजन कराया था। साथ ही अशर्फिया और मोहरें भी दी थी। 

लेकिन हमने कल्पना भी नहीं की थी कि हम कभी आखों से ऐसा देख भी पायेंगे लेकिन दिनांक 9 जून 2017 का अवर्णनीय दिन जिसके बारे में छोटी सी आखों से देखा गया अकल्पनीय नजारे का वर्णन करना वैसे तो मुमकिन नहीं है फिर भी बिना लिखे रहना भी मुश्किल है। 

हरियाणा राज्य के रोहतक जिले के गोहाना रोड पर पशु मेला ग्राउंड में 'कबीर साहेब प्रकट दिवस' मनाया गया। सबसे पहले तो यह बताना आवश्यक है कि जहां तक हमने देखा है एक किलोमीटर लम्बा चौड़ा समतल मैदान बहुत ही कम मिलते हैं और जहाँ ऐसे मैदान है वहाँ एक साथ 30-40 लाख लोग एकत्र होना मुश्किल है।

आज तक के इतिहास में (कबीर साहेब जी को छोड़कर) किसी भी राजा, संत, नेता ने 1 या 2 लाख से अधिक जनसमूह एकत्र नहीं कर पाये। यदि 25-50 हजार किसी आश्रम आदि में जनमानस एकत्र भी हुआ तो खाने से लेकर सोने तक की सहयोग राशि वसूल की जाती है और यदि किसी प्रधानमंत्री जैसो ने भी 50-60 हजार लोगों को जनसभा में पैसे देकर लाते हैं तो भी पूडी के पैकेट और पानी के पाऊच भी सबको बाट नहीं पाते हैं। उनकी सभाओं में खाने और पीने के लिए खींचातान होती है, झगड़े होते हैं। लेकिन आज का वाक्य सुनकर हतप्रभ रह जायेंगे या फिर जिनका विरोधी स्वभाव होगा तो वह सिर्फ विरोध ही करेंगे।

सुनिये कबीर प्रकट दिवस के दिन का अजूबा, एक किलोमीटर लंबे चौड़े मैदान में कबीर साहेब प्रकट दिवस मनाने के लिए 7 देशों से लगभग 18 से 20 लाख सद्गुरुदेव रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी पहुंचे थे और हरियाणा प्रदेश के 7 से 8 लाख आम जनमानस इस कार्यक्रम में शामिल होने आये थे। इन सभी को बैठने के लिए विशालकाय पंडाल की व्यवस्था साथ में पंखे और कूलर की भी व्यवस्था की गई थी। सभी को शुद्ध देशी घी के लड्डू, जलेबी, पूरी, सब्जी दाल चावल का भरपेट भोजन एवं शुद्ध चाय पानी भी करवाया गया।

इनमें से आधे अनुयायिओं ने लगभग 10 दिनों से चल रहे भोजन भंडारे का लुत्फ उठाया है। भंडारा बनाने के लिए बर्तन किसी भी केटरिंग वाले के पास उपलब्ध नहीं होने के कारण बड़े बड़े कडाहे गंजे बर्तनों को आर्डर पर बनवाया गया था। मैदान में पानी की समस्या से निपटने के लिए तुरंत 2-3 बोरवेल किये गये। पीने के लिए हजारों टेंकर पानी की सप्लाई की गयी थी। पूरे पण्डाल में लाउडस्पीकर व 12 बड़ी स्क्रीन लगाई गयी। बड़े बड़े 10-12 जनरेटरो से विद्युत की आपूर्ति की गयी।
करीब एक लाख से ज्यादा सेवादारो ने सम्पूर्ण व्यवस्था को संभाले हुए था। विशेष बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर आयोजित कार्यक्रम में किसी भी तरह की कोई बद इंतजामी और अव्यवस्था की स्थिति नहीं बनी। हम तो यही सुनते आते थे कि 1 लाख लोगों की जनसभा में अव्यवस्था और भगदड़ मच गई। किसी त्यौहार यात्रा के दौरान भगदड़ में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई। पुलिस को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है पर यहाँ तो पुलिस ने पैर भी नहीं रखा। प्रशासन ने कई शर्तों के साथ अनुमति मात्र दी थी। इससे इतर अन्य कोई छोटा सा प्रोग्राम भी हो तो प्रशासन जी जान से सरकारी खजाने से तैयारी में जुट जाता है। लेकिन यहाँ पर प्रशासन ऐसे दूर था जैसे भारत में नहीं अपितु दूसरे देश में आंतकियों के द्वारा कार्यक्रम किया जा रहा हो।
बहुत ही खास बात यह है कि आज तक कोई प्रधानमंत्री हो या फिर कोई राजा, किसी को भी इतने बड़े जन समुदाय को संबोधित करने का मौका नहीं मिला। लेकिन हमारे सद्गुरुदेव रामपाल जी महाराज जी के शिष्यों ने अपने सदगुरु का संदेश मंच के माध्यम से बताया एवं हमारे शुभचिंतक जाट भाईयों ने संबोधित करते हुए सदगुरुदेव रामपाल जी महाराज जी के शिष्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना खून न्यौछावर कर देने का संकल्प दोहराया एवं संत रामपालजी महाराजजी के ज्ञान आदर्शों और संस्कारों को पूरे देश ही नहीं बल्कि विश्व में फैलाने की बात कही साथ ही संत रामपालजी महाराजजी के सद्ज्ञान के प्रसार के लिए हजारों आश्रमों के निर्माण के लिए अपनी खेती ही नहीं, अपने घर तक दान देने के लिए वचनबद्ध हुए साथ ही सरकार के अन्याय के विरुद्ध लामबंध होकर न्याय के लिए लडने की तैयारी जताई है। यदि संत रामपालजी महाराजजी के साथ अन्याय कर जेल में बंद रखने की कोशिश की गई तो ऐसे जेल को समाप्त करने की मांग की है।

116 नवयुगल दंपति का लाखों लोगों के बीच बिना किसी सामाजिक कुरीती, दहेज दिखावे आडम्बर व तामझाम के मात्र 16 मिनट 42 सेकंड में सादगी से गुरुवाणी कर रमैनी (विवाह) सम्पन्न करवाया गया। साथ ही नाम उपदेश लेने के इच्छुक लोगों के लिए नामदान की व्यवस्था भी की गयी जिसमें देशभर से 1445  भक्तों ने नाम लेकर सत्य भक्ति करने व सभी बुराईयों से पूर्णतया दूर रहने का वचन लिया।कार्यक्रम में विशेष बात यह रही कि लाखों की संख्या में निशुल्क पुस्तकें वितरित की गयी। सभी अनुपदेशी लोगों को जाते समय निशुल्क पुस्तकें देकर विदा किया गया।

इस तरह इस कार्यक्रम का आगाज किया गया जो कि अकल्पनीय ही नहीं किसी मनुष्य के लिए कर पाना संभव ही नहीं है। यह सिर्फ पूर्ण परमात्मा की भक्ति और परमात्मा स्वरूप सदगुरुदेव रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद शिक्षा व प्रेरणा से ही संभव हो पाया है।  ऐसे महान क्रन्तिकारी संत को पहचानने के लिए उनके ज्ञान व सत्संग विचारों से ही समझ सकते हैं इसलिए सदगुरुदेव रामपाल जी महाराज जी के अमृत वचन 'साधना चैनल' पर प्रसारित होने वाले सत्संग शाम 7:40 से 8:40 बजे तक एवं 'ईश्वर' टीवी चैनल पर रात्रि 8:30 से 9:30 तक अवश्य देखे व "ज्ञान गंगा" पुस्तक पढ़े।

सन्त समागम हरी कथा, तुलसी दुर्लभ दोय।
सुत धारा धन लक्ष्मी, घर पापी के भी होय।।

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