कलयुग में कबीर के शिष्य हुए है--सम्राट इब्राहिम अधम, शेख मंसूर मस्ताना, शिवली,राबिया, जिवा-दत्ता, धर्मदास जी, महाराज वीरसिंह, नवाब बिजलिखा, संत नामदेव, संत रविदास, मीराबाई, बादशाह सिकन्दर लोधि, गुरुनानक देव जी, संत गरीबदास जी आदि असंख्य हंस हो चुके है ।
वर्तमान में उक्त मुलज्ञान व मंत्र दीक्ष।के ,उक्त परम्परा के एक मात्र अधिकृत संत रामपाल जी है।जिनके सानिध्य में दिव्य धार्मिक भंडारा सार्वजनिक व निशुल्क तौर पर प्रायोजित हैं, जिसमें सर्वसाधारण का हार्दिक निमंत्रण हैं।